मीरां बाई

🙏🎯 मीरां बाई 🎯🙏
1- मीरां शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के 'मीर' शब्द से मानी जाती है जिसका शाब्दिक अर्थ है- "मालिक"।
2- जन्म:- 1498 ईं में कुड़की ग्राम (पाली) में ।
    ** शुक्ल जी ने संवत् 1573 चौकड़ी गाँव में माना है।
3- मीरां रावदूदा की पोत्री व रत्नसिंह की पुत्री थी।
4- बचपन का नाम है- "पेमल"
5- मीरां ने अपना आध्यात्मिक गुरु- 'रैदास जी" को माना है ।
6- मीरां की भक्ति 'माधुर्य/ दाम्पत्य/ कांत/ कंत/ कांता भाव की थी।
7- मीरां का विवाह मेवाड़ के शासक राणा सांगा के पुत्र कुमार भोजराज (12 वर्ष की आयु में)के साथ हुआ लेकिन कुछ समय बाद   (19 वर्ष की आयु में) भोजराज की मृत्यु (7 वर्षों बाद) हो जातीं हैं ।
8- मीरां के देवर विक्रमादित्य (विक्रमदेव) ने मीरां को यातनाएं देना आरम्भ कर दिया ।

9- मीरां ने तुलसीदास जी से सलाह मांगी तो तुलसीदास जी ने निम्नांकित पंक्तियाँ लिखकर भेजी :- 
" जाके प्रिय ने राम वैदही ।
तजही ताही कौटी बैरी, जदपी परम सनेही ।।"( विनय-पत्रिका से)
 ** मीरां बाई ने कुछ समय वृंदावन में भी बिताया था।
10- मीरां ने अपना अन्तिम समय द्वारका (गुजरात) के रणछोड़ के मन्दिर में व्यतीत किया और ऐसा कहा जाता है कि मीरां 'रणछोड़ जी' की मूर्ति में ही विलीन हो गई।
11- मीरां की रचनाएँ:- 
   अ- गीतगोविन्द की टीका 
   ब- राग सोरठा
   स- नरसी जी का मायरा (रतना खाती से लिखवाया)
   द- राग गोविन्द 
12- मीरां की समस्त रचनाओं का प्रमाणिक संकलन "मीरा पदावली" शीर्षक से 'परशुराम चतुर्वेदी' ने किया ।
13- कर्नल जेम्स टाॅड ने भूलवस मीरां को रावदूदा की पुत्री लिखा है।

🙏🎯 मीरांबाई का बचपन का नाम क्या है ?
         अ- दयाबाई        ब- मनोरमा 
         स- मनुबाई          द- पेमल 

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