कवि भूषण || रीतिकाल के राष्ट्रीय कवि || भूषण की रचनाएँ

                🙏🎯कवि भूषण 🎯🙏
                  

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                  🙏🙏कवि भूषण:-🙏🙏

👉जन्म:- सं• 1670 से सं• 1772 (शुक्ल जी के अनुसार)
    *** सामान्य स्थिति में:- 1613 ईं• से 1715 ईं• तक ।

👉 जन्म स्थान :- तिकवांपुर, कानपुर, उत्तरप्रदेश में।

🙏🤔 भूषण का वास्तविक नाम:- घनश्याम ( आ• विश्वनाथ प्रसाद मिश्र के अनुसार)

🙏🤔 पिता जी का नाम:- रत्नाकर त्रिपाठी।

👉 भूषण ब्रजभाषा के कवि मानें जाते है ।

👉 भूषण रीतिकाल के राष्ट्रकवि माने जाते है।

🤔 चित्रकूट के राजा रूद्रसाल सिंह सौलंकी यानि राजा रूद्र ने इन्हें (घनश्याम को)  -" कवि भूषण" की उपाधि दी या "कवि भूषण " की उपाधि से सम्मानित किया ।

🤔👉 आश्रयदाता:- अनेक थे।
*** कवि भूषण का मन शिवाजी व छत्रसाल सिंह के आश्रय में अधिक रमा।
*** ऐसा प्रसिद्ध है कि इन्हें (भूषण ) के एक-एक छंद पर शिवाजी से लाखों रूपये मिले थे।( आ• शुक्ल के इतिहास ग्रंथ पृ• 226 से)

🤔 महाराज छत्रसाल सिंह बुंदेला (मोहबे/ पन्ना नरेश) ने भूषण की पालकी को स्वंय कंधा दिया ।
****तभी इन्होंने कहा," सिवा को बखानौ के बखानौ छत्रसाल को।"

🙏🙏कथन:-
1- आ• शुक्ल ने इन्हें " हिन्दू जाति का प्रतिनिधि कवि " कहा है ।(पृ•~२२६)

2- आ• शुक्ल के अनुसार,"भूषण वीर रस के कवि है।"

3- आ• विश्वनाथ मिश्र के अनुसार, " भूषण भारतीय जनजीवन का प्रथम राष्ट्रीय कवि है।"

🙏🤔कवि भूषण की रचनाएं:--
अ- शिवराज भूषण:-
ब- शिवा बावनी:-
स- छत्रसाल दशक
द- भूषण उल्लास 
य- दूषण उल्लास 
र- भूषण हजारा
(विशेष:- द,य,र :- रचनाएं उपलब्ध नहीं हैं)

** शिवराज भूषण:- अलंकार निरूपक ग्रंथ है।

** शिवा बावनी में शिवाजी की व छत्रसाल दशक में छत्रसाल की वीरता का वर्णन मिलता है।

** शिवा बावनी में +52 छंद तथा  छत्रसाल दशक में +10 छंद मिलते हैं।

🙏🤔 भूषण की पंक्तियाँ:-
1- "धारा पर पारा परिवार यों हलत है।"
2- "साजि चतुरंग सैन अंग में उमंग  धारि।"

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