हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास- बच्चन सिंह कृत से
🙏🎯हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास- बच्चन सिंह कृत से(1):- 🎯🙏
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1- अग्रदास कृत "पदावली" में *सीता-राम* के दांपत्य-विहार का वर्णन है।इनकी भाषा ब्रजी और पदावली सधी हुई है ।
2- अग्रदास *रसिक संप्रदाय* के संस्थापक आचार्य है। यह *पयहारी* के शिष्य थे।
3- "सुदामा चरित्र" नरोत्तमदास (शिवसिंह सरोज के अनुसार ये 1525 ईं में उपस्थित थे) कृत अत्यंत लोकप्रिय *खण्डकाव्य* है। इसमें सुदामा की दरिद्रता और मित्र कृष्ण की उदारता तथा मैत्री का वर्णन सहृदयता के साथ (सवैया छंद में) किया गया है ।
4- "हिमतरंगिणी" - कृपाराम कृत में *यमुना व बेतवा* नदियों का उल्लेख मिलता है। मुहम्मद अकबर ने अपने ग्रंथ *दी पंजाब अंडर दी मुगल* में उन्हें (कृपाराम) को पंजाबी बताया हैं। सामान्यतः बेतवा का सम्बन्ध बुन्देलखण्ड से माना जाता है।
5- शाहमीरान जी प्रसिद्ध सूफी फकीर को *शमसुल उश्श्क (भक्तों का सूर्य)* कहा जाता है।
- इन्होंने अपनी भाषा को हिन्दी कहा है ।
- रचनाएं:- शहादतुल- हक़ीकत, खुशनुमा और 'शरदे-मरगूबल, कबूल आदि।
6- *वृंद (वृंदावन)* कृत "दृष्टांत सतसई" से कुछ दृष्टांत: •••
अ-" जा कौ जैसी उचित तिहिं कहिए सोच विचारी ।
गीदर कैसो ल्याइ है गजमुक्ता गज मारी ।।
ब- रस अनरस समझै न कछु, पढ़े प्रेम की गाथ ।
बीछू मंत्र न जानई, साँप पिटारे हाथ ।।
स- उद्यम कबहुँ न छाँड़ियै पर आसा के मोद ।
गागरि कैसें फोरियै उनयो देखि पयोद ।।
द- छोटे अरि कौ साधियै छोटौ करि उपचार ।
मरै न मूसा सिंह तैं मारै ताहि मंजार ।।
7- "अब जसवंत सुरपुर को सिधारे तब,
तेग बाँधि आये, यह कैसी मरदानगी।"- जब *जसवंतसिंह* के मरने के बाद *औरंगजेब* मारवाड़ पर चढ़ दौड़ा तो वृंद (वृंदावन) ने लिखा (p- 212)।
8- देव (देवदत्त)- की पंक्तियाँ:-
अ- " प्रेम तो कहत ठाकुर न ऐंठो सुन, बैठो गड़ि गहिरे तौ पैठो प्रेमसर में।"
ब- "धार में धाए धैसीं निराधार है, फेरे फिरीं न घिरी नहिं घेरी।"
स- "बैगी ही बूड़ि गई पँखियाँ, अँखिया मधु की मखियाँ भई मेरी।"
द- "सुखे जल सफरी ज्यों सेज पै फरफराति ।
(सफरी= छोटी मछली)।
9- *बिहारी* के लिए "प्रेम" *चौगान का खेल* है (पृ•- 217 से)। यह सामंतों का प्रिय खेल है ।
10- *बिहारी* अकेले कवि है जिन्होंने ग्रामीण-संस्कृति के विरुद्ध घृणा की अभिव्यक्ति की है (पृष्ठ-216)।
11- " एक ओर इनके दोहों को हिन्दी साहित्य का रत्न माना है, दूसरी ओर हाथीदाँत पर कढ़े बेलबूटे ।" - *आचार्य शुक्ल* ने *बिहारी* के संदर्भ में कहा है।
12- *बाबू श्यामसुदंर दास* ने माना (कहा) कि हिन्दी में एक नहीं, दो आलम हैं-- एक माधवानल कामकंदला के रचयिता आलम और दूसरे मुअज्जम (औरंगजेब के पुत्र मुअज्जमशाह यानि बहादुरशाह) आश्रित आलमकेलि के रचयिता आलम।
🙏🎯 विशेष:- 👉पहले शुक्ल जी दोनों आलम को एक ही माना था मगर बाद में दोनों को अलग -अलग मान लिया गया था।
👉 मिश्र बंधु विनोद के 1939 के संस्करण में दो आलम की घोषणा की गयी (पृष्ठ-223 से)।
13- "लच्छीराम और रसिक बिहारी" - द्विजदेव (अयोध्या के राजा मानसिंह ) के आश्रित कवि थे।
14- द्विजदेव रीतिमुक्त काव्यधारा के अंतिम कवि थे। जबकि लच्छीराम बद्धरीति (रीतिबद्ध) कवि थे।
15- " हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी, कि हर ख़्वाहिश प दम निकले।
बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले ।।
- यह पंक्तियाँ *मिर्ज़ा गालिब (का वास्तविक/असली नाम - मिर्ज़ा असद उल्ला ख़ाँ)* उर्दू कवि की है।
16- "कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं, बहुत आगे गए बाकी जो तैयार बैठे हैं।"- यह पंक्तियाँ उर्दू के लोकप्रिय कवि *इंशाअल्ला खां* की है।
17- *शुभ सरस देश सनेह पूरित प्रकट ह्वै आनंद भरे।* - बालकृष्ण भट्ट - ने 1872 में *हिन्दी प्रदीप* पत्र का संपादन किया है, के मुखपृष्ठ पर छपा रहता था।
18- *'सरस्वती' कलम के कवि* =द्विवेदी युग के कवि :-
मैथिलीशरण गुप्त,
नाथूराम शंकर शर्मा (1859-1935),
रायदेवी प्रसाद पूर्ण (1868-1959),
लाला भगवानदीन (1866-1930),
रामचरित उपाध्याय (1872-1938),
गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही' (1883-1930)
रूपनारायण पाण्डेय (1884-1959)
लोचनप्रसाद पाण्डेय मुख्य हैं इनके अलावा सैयद अमीर अली 'मीर', कामताप्रसाद गुरु, गिरिधर शर्मा नवरत्न आदि की भी गणना इसी कलम के अन्तर्गत की जाती है।
19- 👉 उन्हें [ *बालमुकुन्द गुप्त {'शिवशंभु के चिट्ठे' और 'खत और चिट्ठे'}(1904-05 को लिखने की प्रेरणा*)}] - लाला लाजपतराय के *कोहेनूर* में छपे *राधाकृष्ण के चिट्ठे* से मिली हो।
20- *"गैसेट ने कला की जिस अमानवीय (डीह्युमनाइजेशन) का उल्लेख किया है वह यहाँ पर भी है।*"- हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास - बच्चन सिंह कृत(पृष्ठ- 386) के अनुसार, यह तथ्य *प्रेमचंद कृत कफन* कहानी के संदर्भ में है।
21- आ• शुक्ल द्वारा अनूदित निबंध:-
अ- "साहित्य' , *न्यूमैन के ' लिट्रेचर'* का
ब- कल्पना का आनंद, *एडिसन* के *प्लेजर ऑफ इमैजिनेशन* का
स- विश्व प्रपंच, हैकेल के *रीडिल ऑफ द यूनीवर्स* का अनुवाद है।
22 - अमृतलाल नागर ने अपने *बूँद और समुद्र (1956ईं)* उपन्यास के विषय में *" अपने देश के मध्यवर्गीय नागरिक समाज का गुण-दोष भरा चित्र "* कहा है।
23- *"अक्करमासी"* आत्मकथा के लेखक *प्रभाव शरण कुमार लिंबाले* है।इसमें एक अक्करमासी (रखेल की संतान) की कथा का बहुत मार्मिक चित्र है। *आत्मकथा* का मूल प्रश्न है- *'मैं कौन हूँ?'* (पृ• सं• 517)
24- *"प्रेमचंद: सामन्तों के मुंशी* लिखकर *धर्मवीर* ने अपनी आलोचना का अन्त घोषित कर दिया। (पृ• सं• 519)
25- कुछ लोग *1914* की *'सरस्वती'* में *हीरा डोम* लिखित *'अछूत की शिकायत'* को *पहली दलित कविता* मानते हैं ।(पृष्ठ • 518 )
26- *1927* में *आम्बेडकर* ने *मनुस्मृति* को सरेआम जलाया। (पृष्ठ संख्या- 515 )
27- "हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास" में - *बच्चन सिंह* ने *"रीतिबद्ध को बद्धरीति"* और *रीतिमुक्त को मुक्तरीति"* कहा है ।
28- 1970 में *महाराष्ट्र* के *दलित मैंथर* ने *'दलित'* शब्द का प्रचार (सर्वप्रथम दलित शब्द का प्रयोग) किया । पर *गांधी* के मतानुसार दलित शब्द के प्रथम प्रयोक्ता *विवेकानंद* थे।(पृष्ठ संख्या- 515)
29- " हिन्दी में *ओमप्रकाश वाल्मीकि* की एक पुस्तक है- *'दलित साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र।'* (पृष्ठ संख्या- 520 अंतिम से)
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