चैतन्य महाप्रभु
🙏🎯 चैतन्य महाप्रभु 🎯🙏
👉जन्म- 1468 ईं में, नवद्वीप (नादिया), बंगाल में ।
👉 बचपन का नाम :- विश्वम्भर
👉 अन्य नाम है:-
1- गौरांग या गौड़चंद ( अत्याधिक सुन्दर होंने के कारण)
2- निमाई (प्रेम का नाम/ प्रेम से कहते है)
3- कृष्ण
👉 गुरु का नाम:- चण्डीदास या केशव भारती ।
👉 यह विद्यापति के पदों को- भाव-विभोर होकर गााते थेे तथा गाते-गाते मुर्छित हो जाया करते थे ।
👉 चैतन्य महाप्रभु 22 वर्ष की आयु में मध्वाचार्य के द्वारा प्रतिपादित ब्रह्म सम्प्रदाय में दीक्षित हुए लेकिन बाद में इस संप्रदाय को त्यागकर गौड़िय सम्प्रदाय ( अचिंत्य भेदाभेद सम्प्रदाय) की स्थापना की ।
👉 गौड़िय सम्प्रदाय में श्री कृष्ण (उपास्य रूप) को ब्रजेन्द्र कुमार कहा जाता है।
👉 इस सम्प्रदाय में राधा-कृष्ण को संयोगी अवतार माना जाता है ।
👉 चैतन्य महाप्रभु का वृंदावन आगमन- 1515 ईं में हुु आ।
👉 रूप गोस्वामी, जीव गोस्वामी व सनातन स्वामी-- "चैतन्य महाप्रभु " के शिष्य माने जाते हैं ।
👉 करौली स्थित मदनमोहन जी मंदिर तथा गोविन्द देव जी मंदिर, जयपुर में-- चैतन्य संप्रदाय के अनुरूप सेवा की जाती है यानि इस सम्प्रदाय की प्रमुख पीठे है ।
👉 वर्तमान में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यात संस्था "स्काॅन " पर चैतन्य महाप्रभु के विचारों का प्रभाव है ।
👉 चैतन्य सम्प्रदाय में राधा व कृष्ण को संयोगी अवतार माना जाता है ।
👉 चैतन्य सम्प्रदाय में चैतन्य महाप्रभु ने श्री कृष्ण की भक्ति में "संकीर्तन" को स्थान दिया है।
👉 चैतन्य महाप्रभु की कोई रचना प्राप्त नहीं होती हैं ।
👉बंगाल में वैष्णव धर्म का संस्थापक-- चैतन्य महाप्रभु को माना जाता है।
👉 चैतन्य महाप्रभु को उड़ीसा नरेश रूद्रगजपति का संरक्षक प्राप्त था। यह मूर्ति पूूूजक थे।
👉 चैतन्य महाप्रभु ने अपने शिष्यों को उपदेश देते हुए कहा:- " वे प्रेम की वेदी पर अपने सर्वस्य को समर्पित कर दे।"
🙏🎯 मदनमोहन जी मंदिर कहाँ पर स्थित हैं?
अ- जयपुर ब- मेवाड़
स- करौली द- हंसावली
🙏🎯 आपके जवाब के इन्तजार में •••
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