वर्णरत्नाकर ( हिन्दी साहित्य)
🌷वर्णरत्नाकर🌷
लेखक- ज्योतिरीश्वर ठाकुर
समय- 14 वीं शताब्दी
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
✍यह रचना गाहरवाड़ों के राजा गोविन्दचंद्र के सभापति दामोदर शर्मा द्वारा लिखित है।
✍इसका सर्वप्रथम प्रकाशन- राॅयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल से हुआ, जिसका सम्पादन- सुनीति कुमार चटर्जी व बबुआ प्रसाद मिश्र (1940 ईं में) ने किया है
✍इस कृति की तुलना संस्कृत कृति 'मानसोल्लास' से की जााती है।
✍इसकी भाषा- मैथिली हिन्दी है।
✍यह शब्दकोश सा प्रतीत होता है ।
✍यह एक व्याकरण ग्रंथ है जिसकी रचना व्याकरण का ज्ञान देने के लिए की गई है ।
✍इसमें पुस्तक से यह भी ज्ञात होता है कि हिन्दी व्याकरण की ओर उस समय ध्यान दिया जानें लगा था यानि हिन्दी व्याकरण का प्रथम ग्रंथ कह सकते है।
✍बनारस और उसके आस-पास की भाषा व संस्कृति का वर्णन मिलता है।
✍इस ग्रंथ की रचना- ' राजकुमारों को स्थानीय भाषाओं का ज्ञान कराने के उद्देश्य से की गई है ।
✍इस ग्रंथ वास्तविक नाम/ उपनाम "उक्ति-व्यक्ति" ही था - किन्तु 'पाँच प्रकरणों " में बटी (विभक्त) होने के कारण इसे " उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण" कहा जाने लगा।
✍ हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार, " उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण " - एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है, इसमें बनाार स व इसके आस-पास के प्रदेशों की भाषा व संस्कृति पर अच्छा प्रभाव पड़ता है ।
✍"उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण " में दामोदर पंडित ने कोसल की भाषा को कहा है- " अपभ्रष्ट "
✍व्याकरण ग्रंथ है- "उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण"
🌷अगर, दी गई , जानकारी अच्छी लगी हो तो, अपने दोस्तों तक अवश्य शेयर कीजिएगा!!!!🌷🌷
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
🙏🙏धन्यवाद !!!🙏🙏
🙏🙏BY - Rajhind Hindi 🙏🙏
Comments
Post a Comment