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Showing posts from January, 2020

हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की परम्परा भाग- 8 || आ• हजारी प्रसाद द्विवेदी...

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हिन्दी साहित्य का इतिहास लेखन की परम्परा भाग-7 || हिन्दी साहित्य का आलोच...

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आदिकाल इतिहास लेखन की परम्परा भाग-6 || हिन्दी साहित्य का इतिहास- आ• रामच...

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आदिकाल इतिहास लेखन की परम्परा भाग-6|| हिन्दी साहित्य का इतिहास- आ• रामचं...

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आदिकाल इतिहास लेखन की परम्परा भाग- 5 || मिश्रबंधु विनोद- मिश्रबंधु कृत

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आदिकाल इतिहास भाग- 4 || द माॅर्डन वर्नाक्यूलर लिटरेचर ऑफ नाॅर्दन हिन्दुस...

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आदिकाल इतिहास भाग- 3 || शिवसिंह सरोज- शिवसिंह कृत || आदिकाल इतिहास लेखन ...

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हिन्दी साहित्य इतिहास भाग- 2 || हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की परंपरा

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हिन्दी साहित्य का इतिहास लेखन की पद्धतियाँ

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वर्णरत्नाकर ( हिन्दी साहित्य)

            🌷 वर्णरत्नाकर 🌷 लेखक- ज्योतिरीश्वर ठाकुर  समय- 14 वीं शताब्दी  🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 ✍ यह रचना गाहरवाड़ों के राजा गोविन्दचंद्र के सभापति दामोदर शर्मा द्वारा लिखित है। ✍ इसका सर्वप्रथम प्रकाशन- राॅयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल से हुआ, जिसका सम्पादन- सुनीति कुमार चटर्जी व बबुआ प्रसाद मिश्र (1940 ईं में)  ने किया है  ✍इस कृति की तुलना संस्कृत कृति ' मानसोल्लास' से की जााती है। ✍इसकी भाषा- मैथिली हिन्दी है। ✍यह शब्दकोश सा प्रतीत होता है । ✍यह एक व्याकरण ग्रंथ है जिसकी रचना व्याकरण का ज्ञान देने के लिए की गई है । ✍इसमें पुस्तक से यह भी ज्ञात होता है कि हिन्दी व्याकरण की ओर उस समय ध्यान दिया जानें लगा था यानि हिन्दी व्याकरण का प्रथम ग्रंथ कह सकते है। ✍बनारस और उसके आस-पास की भाषा व संस्कृति का वर्णन मिलता है। ✍इस ग्रंथ की रचना- ' राजकुमारों को स्थानीय भाषाओं का ज्ञान कराने के उद्देश्य से की गई है । ✍इस ग्रंथ वास्तविक नाम/ उपनाम "उक्ति-व्यक्ति" ही था - किन्तु 'पाँच प्रकरणों " में बटी (विभक्त) होने के कारण इसे "  उ...

राउलवेल/ राउरवेलि

                🙏🎯राउलवेल/ राउरवेलि 🎯🙏 लेखक:- रोडा कवि  समय:- 10 वीं सदी  राउलवेल का अर्थ:- राजकुल का विलास  प्रकाशन व संपादन:- डाॅ• भयाणी ने ' भारतीय विद्या '                               पत्रिका से ✍   यह एक शिलांकित कृति है जिन शिलाओं पर ,यह लिखी गई थी वह मध्यप्रदेश  के( मालवा क्षेत्र)  धार जिले से प्राप्त हुई है और वर्तमान में -मुम्बई के 'प्रिन्स ऑफ वेल्स संग्रहालय' में सुरक्षित रखी हुई है। ✍यह एक चम्पू काव्य है यानि गद्य-पद्य मिश्रित रचना है ।  ✍यह हिन्दी की प्राचीनतम चम्पू काव्य की कृति  है यानि हिन्दी का प्रथम चम्पू काव्य ग्रंथ है । ✍इसकी नायिका ' राउल'  है, जिसके नख-शिख सौन्दर्य वर्णन मिलता है। ✍ हिन्दी में नख-शिख सौन्दर्य पद्धति का आरम्भ इसी ग्रंथ में मिलता है   यानि हिन्दी में नख-शिख सौन्दर्य पद्धति का सर्वप्रथम प्रयोग इसी रचना में किया गया है । ✍यह वेल / वेलि/ बेलि काव्य परम्परा की प्राचीनतम क...

आदिकाल का गद्य साहित्य || राउलवेल- रोडा कवि कृत || उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण ...

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